The Definitive Guide to sidh kunjika
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥ ६ ॥
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
इस पाठ के करने से अष्टसिद्धियां प्राप्त होती हैं.
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जाग्रतं हि महादेवि जप ! सिद्धिं कुरूष्व मे।।
येन मन्त्र प्रभावेण, चण्डी जापः शुभो भवेत।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
इसके प्रभाव से जातक उच्चाटन, वशीकरण, मारण, मोहन, स्तम्भन जैसी सिद्धि पाने में सफल होता है.